देसी मुर्गी पालन कैसे करें? यहां जानें | deshi murgi palan
यदि आप गांव में रहते हैं तो आपके लिए देसी मुर्गी पालन का व्यवसाय (poultry farm business) एक अच्छा बिजनेस ऑप्शन हो सकता है।
deshi murgi palan in hindi: आज के समय में हर कोई चाहता है कि कम लागत में भी अधिक मुनाफा कमाएं। ऐसे कई रोजगार हैं जिसे कम लागत में भी शुरू किया जा सकता है। यदि आप गांव में रहते हैं तो आपके लिए देसी मुर्गी पालन का व्यवसाय (poultry farm business) एक अच्छा बिजनेस ऑप्शन है।
अगर आप भी देसी मुर्गी पालन (deshi murgi palan) का व्यवसाय शुरू करने की सोच रहे हैं, तो आपको इस लेख में मुर्गी पालन की पूरी जानकारी मिलेगी। जिससे आप गांव में ही रहकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में देसी मुर्गी पालन का व्यवसाय (poultry farm business) की पूरी जानकारी देंगे।
यहां हम आपको कुछ देसी नस्लों के बारे में भी बताएंगे, जिसे पालकर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

इस लेख में आप जानेंगे
1. मुर्गी पालन क्या है?
2. कैसे करें मुर्गी पालन की शुरुआत
3. मुर्गियों की प्रमुख नस्लें
4. मुर्गी पालन के लिए आवास प्रबंधन
5. मुर्गियों के लिए चारा प्रबंधन
6. मुर्गी पालन में लागत और कमाई
7. मुर्गी पालन के लिए लोन और आवेदन प्रक्रिया
8. मुर्गी पालन में चुनौतियां
आइए सबसे पहले मुर्गी पालन (poultry farm) पर एक नजर डाल लेते हैं।
- मुर्गियों की देसी नस्ल ब्रॉयलर से बिल्कुल अलग होती है।
- अंडा उत्पादन में भारत का विश्व में पांचवा स्थान है।
- हमारे देश में पोल्ट्री की संख्या 729 मिलियन तक पहुंच गई है।
- आज विश्व के बाजार में मांस और अंडो की मांग काफी ज्यादा बढ़ चुकी है।
भले ही देसी मुर्गी का विकास धीमी गति से होता है, मगर ब्रॉयलर के मुकाबले बाज़ार में इनकी कीमत दो से तीन गुना तक अधिक होती है। पौष्टिकता और औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण देसी मुर्गियों की मांग में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में गांव में ही रहकर आप देसी मुर्गी पालन (deshi murgi palan) से सालाना लाखों रुपये कमा सकते हैं।
मुर्गी पालन क्या है?
मुर्गी पालन (poultry farm) एक कृषि व्यवसाय है। इस व्यवसाय में मु्र्गियों की मांस से लेकर अंडो तक उत्पादन कर सकते हैं। बाजार में मुर्गी के मांस और अंडे की जरूरतों को पूरा करने के लिए मुर्गी पालन (poultry farm) किया जाता है।
आसान भाषा में कहा जाए तो देसी मुर्गी पालन (deshi murgi palan) गरीब और छोटी जगह में रहने वाले लोगों के लिए यह एक अच्छा व्यवसाय है। क्योंकि इसे कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। मुर्गी पालन (poultry farm) कई लोगों बेरोजगार लोगों को रोजगार का आसान साधन मुहैया कराती है।
ऐसे करें मुर्गी पालन की शुरुआत
बाजार में दिन पर दिन इसकी मांग को देखते हुए लोग आज इसके व्यवसाय की और तेजी से बढ़ रहे हैं। मुर्गी पालन (poultry farm) की शुरुआत आप अपने घर के आंगन में 10 से 15 मुर्गियों को पालकर भी कर सकते है। व्यवसायिक शुरूआत के लिए आप शेड का निर्माण भी कर सकते हैं।

मुर्गी पालन के लिए उन्नत नस्लें
आम तौर पर भारत में मुर्गियों की कई प्रजातियां पाई जाती है। लेकिन व्यवसायिक स्तर पर इसकी शुरूआत करने के लिए कड़कनाथ, असेल, वनराजा, ग्रामप्रिया, फ्रिजिल, झारसीम, असेल पीला आदि नस्लों का चुनाव कर सकते हैं।
असेल नस्ल
यह नस्ल चिकन(मांस) के लिए काफी अच्छा होता है। इस नल्स की मुर्गी के हाथ, पैर, गर्दन लंबे होते है और इनके बाल चमकीले दिखाई देते हैं। लेकिन ये मुर्गियां अंडे कम देती है।
इस प्रकार की मुर्गियां भारत के उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में आप को देखने को मिलेंगी।
कड़कनाथ नस्ल
यह नस्ल भारत की सबसे चर्चित नस्ल है। इसके शरीर और मांस का रंग काला होता है। इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। इस नस्ल का इस्तेमाल कई प्रकार की दवा बनाने के लिए किया जाता है। यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य में पाई जाती है।
वनराजा
देसी मुर्गी पालन (deshi murgi palan) के लिए इस नस्ल को सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि यह 3 महीने में 120 अंडे देती है। इसका वजन भी 2.5 से 5 किलो तक आसानी से होता है। जो बाजार में एक अच्छा मुनाफा दिलाती है।
श्रीनिधि
इस प्रकार की नस्ल को व्यवसाय के लिए उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि यह बाकी मुर्गियों के मुकाबले मांस और अंडे अधिक देती है जिससे अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। आप यह भी कह सकते है कि यह व्यवसाय की गति में विकास काफी तेज करती है। साल में यह 210 से 230 तक अड़ें देती है। इसका वजन 2.5 किलोग्राम से 5 किलोग्राम होता है।
झारसिम नस्ल
इसके नाम से ही पता चलता है कि यह नस्ल कहां पर पाई जाती है। जी हां यह नस्ल झारखंड में पाई जाती है। इस नस्ल कम पोषण पर भी जीवित रह सकती है और तेजी से बढ़ती है। ये अपना पहला अंडा 180 दिन पर देती है और फिर हर साल 165 से 170 अंडे देती है। इसके एक अंडे का वजन- 55 ग्राम तक और मुर्गे का वजन 1.5 से 2 किलोग्राम तक होता है।
ग्रामप्रिया
इस नस्ल का प्रयोग लोग सबसे अधिक तंदूरी चिकन बनाने के लिए करते है। क्योंकि इसका वजन सिर्फ 12 सप्ताह में 15. से 2 किलो का हो जाता है। यह नस्ल सालाना 210 से 255 अंडों का उत्पादन करती है। इसके अंडे का वजन 57 से 60 ग्राम तक होता है।
मुर्गी पालन के लिए आवास प्रबंधन
मुर्गी पालन के लिए सही जगह का चुनाव करना बेहद जरूरी है। जहां पर यह आराम से रह सकें। इसलिए इनका पालन ऐसी जगह करें जहां इन्हें साफ-पानी, हवा-धूप, और वाहनों के आने-जाने का एक अच्छा इंतजाम हो। ध्यान रखें कि मुर्गियों को प्रदूषण का असर ना हो। क्योंकि ये प्रदूषण में अधिक समय तक नहीं रह पाती है। पूरे दिन में एक बार इन्हें खुले में घूमने दें।
मुर्गी पालन के लिए चारा प्रबंधन
देसी मुर्गियों के चारा पर ब्रॉलयर मुर्गियों की तुलना में काफी कम खर्च करना पड़ता है। ये मुर्गियां घर के आसपास जुठे, अनाज, पत्तियां और कीड़े-मकोड़े खाकर भी अपना पेट भर लेती हैं। लेकिन जल्दी विकास के लिए आप मुर्गियों को उनकी आय़ु और वजन के आधार पर उन्हें संतुलित आहार जरूर दें। इसके लिए आप अपने घर पर चारा बना सकते हैं।
बाजार में मुर्गियों के तीन तरह का आहार भी मिलता है। जिसे आप खरीद कर घर के बने चारे के साथ दे सकते हैं।
- स्टार्टर फीड
- ग्रोवर फीड
- लेयर फीड
देसी मुर्गी पालन (deshi murgi palan) में लागत और कमाई
अगर आप छोटे पैमाने पर मुर्गी पालन की शुरुआत करते है तो इसमें कम से कम 50 हजार रुपए से लेकर 1.50 लाख रुपए के बीच आएगा। कमाई की बात करें तो मुर्गियों के चूजे लगभग 8 से 10 सप्ताह में 15 से 25 किलोग्राम तक हो जाते है। जिनका बाजार में एक अच्छा पैसा मिलता है। देसी नस्लों के मुर्गियों को पालने का खर्च बहुत ही कम होता है। महज 500 रुपये में आप इसका व्यवसाय कर सकते है और बाजार में भी इनकी अच्छी कीमत मिलती है। इसे आप 40% से अधिक आसानी से मुनाफा कमा सकते है।
मुर्गी पालन के लिए लोन
मुर्गी पालन (poultry farm) को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा नेशनल लाइव स्टॉक मिशन और नाबार्ड के पोल्ट्री फार्मिंग योजना का आप लाभ उठा सकते हैं। जिसमें हर एक वर्ग के लोगों को लोन और सब्सिडी दी जाती हैं।
मुर्गी पालन (poultry farm) के लिए कोई भी व्यक्ति आसानी से किसी भी सरकारी बैंक में जाकर लोन ले सकता हैं।
आपको बता दें, मुर्गी पालन (poultry farm) को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भी तरह तरह की सब्सिडी लाती रहती है जिससे लोगों को स्वरोजगार मिल सके। सरकार मुर्गी पालन के लिए 25% तक सब्सिडी लोगों को देती है और वहीं SC/ST वर्ग के लिए यह 35 % तक दी जाती है। 5 हजार मुर्गियों के पालन के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) 3 लाख रुपये तक लोन देता है।
लोन के लिए जरूरी कागजात
- मुर्गी पालन (poultry farm) की प्रोजेक्ट रिपोर्ट
- पहचान पत्र ( आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस)
- 2 पासपोर्ट साइज फोटो
- बैंक अकाउंट स्टेसमेंट की फोटो कॉपी
मुर्गी पालन (poultry farm) में चुनौतियां
मुर्गी पालन में सावधानियां रखने की जरूरत होती है। अन्यथा आपको नुकसान भी हो सकता् है। चूंकि चूजों को पालते समय उनकी मृत्यु दर बहुत अधिक होती हैं। इसके लिए मुर्गियों को टीका और जरूरी दवाइयां जरूर दें।
संक्षेप में कहें तो देसी मुर्गी पालन (deshi murgi palan) ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकती हैं। भले ही ये नस्लें अंडा उत्पादन में अन्यों की तुलना में थोड़ी पीछे हों, लेकिन ये नस्लें कम खर्च और रखरखाव में भी आसानी से अंडे और मांस उत्पादन देती हैं। सरल शब्दों में कहें, तो देसी मुर्गियां ग्रामीण बेरोजगारों को स्वरोजगार और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर सकती है।
देसी मुर्गी पालन पर एक्सपर्ट की राय

ये तो थी, देसी मुर्गी पालन (deshi murgi palan) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजना और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।