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बासमती धान की खेती | basmati dhan ki kheti

बासमती चावल, चावल की किस्म की उत्तम किस्मों में से एक है, यह चावल अपनी एक विशिष्टि सुगंध तथा स्वाद के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है।

basmati dhan ki kheti: बासमती धान की खेती कैसे करें?
basmati dhan ki kheti: भारत एक कृषि प्रधान देश है, धान (चावल) यहां का महत्वपूर्ण फसल है जो कि कुल फसलों के क्षेत्र का एक चौथाई क्षेत्र पर उपज की जाती है। चावल लगभग आधे से ज्यादा भारतीय आबादी का मुख्य भोजन है। 
 
धान विश्व की तीन महत्वपूर्ण खाद्यान फसलों में से एक है इसकी खेती विश्व में लगभग 150 मिलियन हेक्टेयर और एशिया में 135 मिलियन हेक्टेयर में की जाती है। धान की बासमती (Basmati) किस्म की दुनिया भर में मांग है।
 
हरित क्रांति के बाद भारत में खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता प्राप्त करके बासमती धान की विश्व में मांग और इसके निर्यात की अत्यधिक संभावनाओं को देखते हुए बासमती धान की खेती (basmati dhan ki kheti) काफी महत्वपूर्ण हो गई है।
 

बासमती धान की खेती (basmati dhan ki kheti)

उन किसान भाई को यह बात जानना जरुरी है, जो बासमती चावल की खेती करते हैं। और उसको बेचने के लिए बाजार का सहारा लेते है जिससे वे अच्छा मुनाफा कमा सकें। विश्व के तकरीबन 25 फीसदी शेयर के साथ भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत प्रतिवर्ष 30 हजार करोड़ से भी ज्यादा का बासमती चावल निर्यात करता है। 
 
बासमती चावल, चावल की किस्म की उत्तम किस्मों में से एक है, यह चावल अपनी एक विशिष्टि सुगंध तथा स्वाद के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। बासमती चावल की भी कई किस्में होती है।
 
बासमती धान की खेती के लिए किसानों को कृषि तकनीक का ज्ञान आवश्यक है जिससे वो उत्पादकता बढ़ा सकें। धान की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सबसे प्रमुख चीज़ यह भी है कि इसके किस्मों का चुनाव, भूमि एवं जलवायु को देखकर उचित तरीके से किया जाए।
 

बासमती चावल की किस्में

पूसा बासमती 1637  

बासमती धान की इस किस्म की खेती बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा में प्रमुखता से की जाती है। प्रति एकड़ जमीन में खेती करने के लिए 6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पौधे मध्यम लम्बाई के होते हैं। बालियां लम्बी और आकर्षक होती हैं। दाने लम्बे एवं कठोर होते हैं। किस्म 135 से 140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 25 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
 

पूसा बासमती 1509  

बासमती धान की यह किस्म दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में खेती के लिए  उपयुक्त किस्म है। पौधों की लम्बाई कम होती है। फलस्वरूप पैधों के गिरने की समस्या कम होती है। इसके दाने लम्बे होते हैं। फसल को पककर तैयार होने में 115 से 120 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ खेत से 20 से 22 क्विंटल तक उपज होती है।
 
इन किस्मों के अलावा हमारे देश में धन की कई अन्य किस्मों की खेती भी की जाती है। जिनमे पूसा बासमती 6, पूसा- 44, पी एन आर- 546, पी एन आर- 381, वल्लभ बासमती 22, मालवीय -105, आदि किस्में शामिल हैं।
 

भूमि चयन और तरीका

बासमती धान की खेती (basmati dhan ki kheti) के लिए अच्छे जल धारण क्षमता वाली चिकनी या दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। धान की खेती के लिए 2 से 3 बार जुताई करना चाहिए। साथ ही खेतों की मजबूत मेड़बन्दी भी कर देनी चाहिए। इस प्रक्रिया से खेत में वर्षा का पानी अधिक समय के लिए संचित भी किया जा सकता है। वहीं अगर हरी खाद के रूप में ढैंचा/सनई ली जा रही है तो इसकी बुवाई के साथ ही फास्फोरस का भी प्रयोग कर लिया जाएगा। धान की बुवाई/रोपाई के लिए एक सप्ताह पूर्व खेत की सिंचाई कर देना चाहिए। वहीं खेत में खरपतवार होने के बाद इसके पश्चात ही बुआई के समय ही खेत में पानी भरकर जुताई कर दें।
 

बीज शोधन

नर्सरी डालने से पूर्व बीज शोधन अवश्य कर लें। नहींं तो, आपको नुकसान हो सकता है क्योंकि धान की कुछ बीज बेकार होते हैं।
 

बीज की मात्रा

प्रजाति के अनुसार बासमती धान के लिए 25-30 किग्रा. बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। 2 ग्राम⁄किग्रा. बीज की दर से कार्बेन्डाजिम द्वारा उपचारित करके बोना चाहिए।
 

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