Baigan Ki Kheti: बैंगन की खेती कैसे करें? यहां जानें
बैंगन (Brinjal) में भरपूर मात्रा में पोषक होता है। यदि आप एक किसान हैं तो आप बैंगन की खेती (Baigan Ki Kheti) करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
Baigan Ki Kheti: आजकल बैंगन की भर्ते की मांग घर से लेकर फाइव स्टार होटलों तक खूब है। यदि आप एक किसान हैं तो आप बैंगन की खेती (Baigan Ki Kheti) करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं। आपको बता दें, बैंगन लम्बे समय तक उपज देता रहता है। यह पूरे वर्ष उगाई जाने वाली सब्जी है।
बैंगन (Brinjal) में भरपूर मात्रा में पोषक होता है। इसमें कम कैलोरी में विटामिन, खनिज और फाइबर पाई जाती है। बैंगन में नियासिन, मैग्नीशियम और काॅपर जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। बैंगन में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो शरीर को फ्री रैडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है।
तो आइए, द रूरल इंडिया के इस लेख में बैंगन की खेती की उन्नत तकनीक (Baigan Ki Kheti) को विस्तार से जानें।
आप इस लेख में जानेंगे-
- बैंगन की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी
- खेत की तैयारी
- बैंगन की उन्नत किस्में
- बैंगन की खेती में ध्यान रखने योग्य बातें
- बैंगन की फसल मेंउर्वरक प्रबंधन
- बैंगन की खेती में लागत और कमाई
बैंगन की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी
बैंगन की खेती (Baigan Ki Kheti) के लिए समशितोष्ण जलवायु की जरूरत होती है। 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में बैंगन की पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। इसकी खेती के लिए लाल मिट्टी, रेतीली दोमट और चिकनी मिट्टी अच्छी होती है, जिसमें जीवांश की मात्रा पर्याप्त हो। भूमि का पी.एच मान 5.5 से 7 के बीच का होना चाहिए। जिस खेत का चयन करें उसकी मिट्टी में कार्बन की मात्रा अधिक और जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
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ऐसे करें खेत की तैयारी
- फसल रोपाई के 20 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक बार जुताई कर दें, जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाएं।
- इसके बाद प्रति एकड़ खेत में 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डालें।
- खाद डालने के बाद खेत की 1 बार जुताई करके पाटा लगाकर पलेवा कर दें।
- पलेवा के 6 से 8 दिन बाद 1 बार गहरी जुताई कर दें।
- इसके बाद खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार आडी- तिरछी, गहरी जुताई करके खेत पर पाटा लगा दें, जिससे खेत समतल हो जाए।
- अब खेत में बैंगन की पौधों की रोपाई कर दें।
बैंगन की उन्नत किस्में
पूसा हाईब्रिड 5
बैंगन की इस किस्म की खेती कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में की जाती है। इसके फलों का रंग गहरा बैंगनी एवं आकार लम्बा होता है। रोपाई के करीब 80 से 90 दिन बाद फलों की पहली तुड़ाई कर सकते हैं। पूसा हाईब्रिड 5 किस्म से प्रति एकड़ 20 से 26 टन पैदावार होती है।
अर्का नवनीत
इस किस्म के फल गोल और अंडाकार बैंगनी रंग के चमकीले होते हैं। इसमें गूदा ज्यादा और बीज कम होते हैं। प्रत्येक फल का वजन 350-400 ग्राम होता है। प्रति एकड़ खेती करने पर 24 से 26 टन तक उपज होती है।
ग्रीन लॉन्ग
यह संकर किस्मों में से एक है। इसके फल लम्बे एवं हरे रंग के होते हैं। पौधों में गुच्छों में फल निकलते हैं। रोपाई के करीब 60 दिनों बाद पहली तुड़ाई कर सकते हैं।
पंजाब सदाबहार
इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 50-60 सेंटीमीटर और फल लम्बे, गहरे बैंगनी एवं चानकदार होते हैं। फलों की लम्बाई 18-20 सेंटीमीटर होती है। अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म में फल छेदक कीट का प्रकोप कम होता है। प्रति एकड़ खेत से 12 से 16 टन बैंगन प्राप्त किए जा सकते हैं।
इसके अलावा बैंगन की और भी किस्में हैं, जिनकी सफलतापूर्वक खेती की जाती है। जैसे- पूसा हाईब्रिड 6, भीमा, पंत ऋतुराज, पूसा संकर 9, पूसा श्यामल, पूसा क्रांति, पंत सम्राट, काशी संदेश, अर्का कुसुमकर, अर्का नीलकंठ, आदि किस्म है।
बैंगन की खेती में ध्यान रखने योग्य बातें
- उन्नत और सही बीज का चयन करना चाहिए, किसी प्रमाणित बीज दुकान से बीज खरीदना चाहिए।
- बैंगन के खेत को सही तरीके से तैयार करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें।
- खेत में सही मात्रा में खाद डालना चाहिए।
- सिंचाई और मौसम का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- बैंगन के पौधों को रोजाना 6-8 घंटे की धूप मिलनी चाहिए।
- मिट्टी की ऊपरी परत सूखी दिखाई देने पर पौधों को पानी दें।
- बैंगन की पौध बुआई के 25 से 30 दिन बाद खेत में रोपाई कर देना चाहिए।
- पौध रोपाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 90 सेमी रखें।
- पौध की रोपाई शाम के समय में करें।
- पौधों को कीटों से बचाने के लिए नीम तेल या अन्य उपयुक्त कीटनाशक का छिड़काव करें।
बैंगन की अधिक पैदावार के लिए करें उर्वरक प्रबंधन
बैंगन में सही उर्वरक प्रबंधन का प्रयोग करके आप अपनी आय बढ़ा सकते हैं। बैंगन की रोपाई के समय एक एकड़ खेत में 50 किलोग्राम डीएपी, 50 किलोग्राम पोटाश, 25 किलोग्राम यूरिया, 25 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट, 10 किलोग्राम जिंक सलफेट, 5 किलोग्राम जायम, 10 किलोग्राम कार्बोफुरान का इस्तेमाल करें।
बुआई के 20 से 25 दिन बाद एक एकड़ खेत में 25 किलोग्राम यूरिया, 8 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करें। पौध रोपाई के 40-50 दिन तक बैंगन की फसल को खरपतवार से मुक्त रखें और जड़ों के पास मिट्टी चढ़ाते रहें।
बैंगन की खेती में लागत और कमाई
बैंगन की खेती (Baigan Ki Kheti) से आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा कर सकते हैं, बशर्तें आपको समय पर पौधों की उचित देखभाल करनी होगी। सबसे पहले पौधों की जरूरत होती है। बैंगन का प्रति पौधा 1-2 रुपये का पड़ता है। इसकी फसल 60-70 दिन बाद उत्पादन देने लगती है। एक पौधे से औसतन 3-5 किलो बैंगन का उत्पादन होता है। बैंगन की खेती में प्रति हेक्टेयर 50 से 1 लाख रुपए की लागत आती है। इतने क्षेत्रफल में 10 से 15 टन बैंगन का उत्पादन हो जाता है। अगर आपका बैंगन 20-25 रुपये के भाव से भी बिकता है तो प्रति हेक्टेयर से 3-4 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न- बैंगन की खेती कौन से महीने में होती है?
उत्तर- बैंगन की खेती आप वर्षभर कर सकते हैं। बरसात के मौसम में इसकी खेती जुलाई-अगस्त, ठंडी की सीजन में अक्टूबर-नवंबर और गर्मियों में फरवरी-मार्च में कर सकते हैं।
प्रश्न- बैंगन कितने दिन में फल देता है?
उत्तर- बैंगन 60 से 70 दिनों में फल देने लगता है।
प्रश्न- बैंगन उगाने में कितना समय लगता है?
उत्तर- बैंगन उगानें में 50 से 60 दिनों का समय लगता है।
प्रश्न- प्रति एकड़ कितने बैंगन के पौधे लगते हैं?
उत्तर- प्रति एकड़ 1200 से 1500 पौधे लगते हैं।
ये तो थी, बैंगन की खेती (Baigan Ki Kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इन्हें पढ़ने के लिए शेयर करें।