Animal husbandry schemes: डेयरी क्षेत्र की सरकारी योजनाएं
देशभर में पशुधन के विकास औऱ विस्तार के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारों ने विभिन्न नीतियां और योजनाएं लागू की हैं।

animal husbandry schemes in hindi: देशभर में पशुधन के विकास औऱ विस्तार के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारों ने विभिन्न नीतियां और योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं में पशुओं की खरीद से लेकर पशुधन के रखरखाव, पशुधन के पोषण, पशुधन का बीमा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक सभी जरूरतें शामिल है। इसके तहत, इन योजनाओं के लाभार्थी पशुपालन के क्षेत्र में हर संभव मदद प्राप्त कर सकेंगे।
तो आइए द रूरल इंडिया के इस लेख में पशुपालन के लिए चलाई जा रही प्रमुख पशुधन बीमा योजनाओं (animal husbandry schemes in India) को जानें।
पशुधन क्षेत्र की प्रमुख पशुपालन योजना
पशुपालन के क्षेत्र में तीन विकास योजनाएं गेम चेंजर साबित हुई है, जिसमें
- पशुधन बीमा योजना
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन,
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन शामिल हैं।
इसके अलावा, पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर पशुपालकों की चिंता को दूर करते हुये पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम भी प्रगति पर है।
पशुधन बीमा योजना (Pashudhan Bima Yojana)
पशुधन में होने वाली अनहोनी की संभावनाओं कम करने के लिए पशुधन बीमा योजना की शुरूआत की गई। जिसका उद्देश्य पशुओं में मौसम, बीमारी और दुर्घटना से होने वाली मौत के कारण किसानों को होने वाले नुकसान से बचाना है। पशुधन बीमा के तहत बीमारी या दुर्घटना से बीमित पशु की मौत होने पर पशुपालकों को 100 प्रतिशत बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है। पशुधन बीमा का लाभ ऑनलाइन पोर्टल के जरिये भी ले सकते हैं। इसके तहत इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी जारी करती है, जिसमें पशुपालक और पशु की फोटो के साथ-साथ पशु स्वास्थ्य कार्ड आदि एकत्रित करके पशुओं के कान में बीमित होने का टैग लगाती है।
देशभर में पशुधन का काफी मंहगा होता जा रहा है, ऐसे में पशुओं के बीमा के प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा केंद्र या राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। हर राज्य में पशुओं का बीमा प्रीमियम और बीमा कवरेज की रकम अलग-अलग निर्धारित की गई है। इतना ही नहीं, किसानों की जाति और आर्थिक हालात के मद्देनजर राज्य सरकारें पशुपालकों को अतिरिक्त सब्सिडी देकर भी राहत कर रही हैं। पशुधन बीमा योजना का लाभ लेने के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क करें।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission)
देशभर में पशुधन की स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission) की शुरूआत की गई है।
इस योजना का प्रमुख उद्देश्य स्वदेशी नस्लों के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम चाला है, जिससे पशुधन की आनुवंशिक संरचना में सुधार हो और उनकी संख्या में वृद्धि हो सके। इस मिशन के तहत रोग मुक्त उच्च आनुवांशिक गुण वाले पशुधन की आबादी बढ़ाना शामिल है, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी और रोग नियंत्रण भी हो पायेगा।
इस योजना में स्वस्थ पशुधन की आबादी बढ़ाने की प्राकृतिक सेवा के लिए रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता बैल भी वितरित किये जाते है। इस मिशन के तहत पशुपालकों के घर पर पशुधन के गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं की व्यवस्था भी शामिल है।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम)
इस मिशन की शुरूआत 2014-15 में कृषि मंत्रालय द्वारा की गई है। इस योजना के तहत बकरी पालन और भेड़ पालन को बढ़ावा देकर किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत पशु आहार व चारे के उत्पादन पर ज़ोर दिया जाता है। यह चारा सूखे या फिर बाढ़ की स्थिति में पशुओं के काम आता है। इससे पशुओं के संरक्षण में भी मदद मिलती है।
पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना (एमएमडी-सीपी)
पशुओं का बेहतर स्वास्थ्य भी पशुपालन के विकास और विस्तार की निशानी है। पशुओं के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए ही केंद्र सरकार द्वारा पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना लागू की गई है। इसका उद्देश्य पशुओं में बीमायों की रोकथाम, नियंत्रण और निवारण के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इस योजना के तहत पशुओं में खुरपका और मुंहपका रोग के साथ-साथ ब्रुसेलोसिस रोग की रोकथाम के लिए 100 प्रतिशत आर्थिक अनुदान प्रदान किया जायेगा।
शुरूआती प्रक्रिया के रूप में पशुओं में प्रथामिक टीकाकरण से लेकर पशु स्वास्थ्य कार्ड, पशु आबादी की निरगानी, टीकाकरण नमूनों का परीक्षण, स्वास्थ्य डेटा संरक्षण और टीकाकरण पारिश्रमिक आदि सुविधायें मुफ्त प्रदान की जायेंगी। पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के उद्देश्य से लागू की गई इस योजना से पशुओं के घरेलू उत्पादन में बढ़ोत्तरी, दूध और पशुधन उत्पादों के निर्यात में भी वृद्धि दर्ज हो पायेगी।
‘पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण’ कार्यक्रम के अंतर्गत कई योजनाएं शामिल हैं।
- खुरपका और मुंहपका रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एफएमडी-सीपी)
- पेस्ट डेस पेटि्टस रूमीनेट्स कार्यक्रम (पीपीआर-सीपी)
- ब्रूसेलोसिस नियंत्रण कार्यक्रम (ब्रूसेलोसिस –सीपी)
- क्लासिकल स्वाइन ज्वर नियंत्रण कार्यक्रम (सीएसएफ-सीपी)
- पशुरोगों के नियंत्रण हेतु राज्यों को सहायता (असकैड)
- राष्ट्रीय पशुरोग सूचना प्रणाली (एनएडीआरएस)
पशुपालन अवसंरचना विकास निधि
कोविड़-19 महामारी के दौर में पशुधन के निकास-विस्तार में कोई समस्या पैदा न हो, इसके लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज में 15000 करोड़ रुपये राशि का आबंटन किया गया है।
पशुपालन अवसंरचना विकास निधि का प्रमुख उद्देश्य पशुपालन के क्षेत्र में आर्थिक अनुदान और पशुधन के लिए विभिन्न सुविधायें प्रदान करना है। इसके अलावा, दूध और मांस प्रसंस्करण क्षमता और उत्पादन क्षमता बढ़ाकर बाजार तक पहुंच बनाना है। जिससे पशुपालन में रोजगार के अवसर पैदा हो सके। इस योजना में गोपशु, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर और कुक्कुट को किफ़ायती मूल्य पर संतुलित और गुणवत्तापूर्ण चारा प्रदान करना भी शामिल है।
पशुधन हेल्पलाइन नंबर
पशुपालन के बढ़ते व्यावसायिक क्षेत्र के कारण सरकार द्वारा किसानों और पशुपालकों के उद्धार और पशुधन के विकास के लिए कई हेल्पलाइन और आपातकालीन सेवायें शुरू की हैं। इन सेवाओं का लाभ पशुपालक और किसान भाई किसी भी भाषा में ले सकते हैं।
जिन पशुपालकों को पशुओं के स्वास्थ्य, पोषण या पशुधन संबंधी किसी भी समस्या का समाधान की जरूरत हो, इसके लिए हेल्प लाइन नंबर है 1551 या 1800-180-1551 लॉन्च किया गया है। इन हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके 24×7 सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।
ये तो थी, पशुधन योजना की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजना और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इस लेख को शेयर करें।