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कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उपकरण एवं उनके उपयोग | agricultural equipment and machinery
आइए, हम लोग द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में खेती के कुछ मशीनों (agricultural equipment and machinery) के बारे में जानते हैं।

farm mechanization in hindi: भारत कृषि प्रधान देश हैं। लेकिन हमारा देश कृषि मशीनरीकरण (farm mechanization) में दुनिया के देशों से काफी पीछे है।
हमारे देश में अभी भी खेती पारंपरिक तरीके से की जाती है। जबकि आधुनिक खेती में मशीनों का महत्व बहुत ज्यादा है। आधुनिकीकरण के इस दौर में किसानों को कृषि मशीनरी (farm mechanization) का ज्ञान होना बहुत ही आवश्यक है।
तो आइए, हम लोग द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में खेती के कुछ मशीनों (agricultural equipment and machinery) के बारे में जानते हैं।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, तकनीकी और प्रौद्योगिकी के विकास ने आज खेती के स्वरूप को बदल के रख दिया है। आधुनिकीकरण के दौर में किसानों के लिए खेती भी अब काफी आसान हो चुकी है।अब कृषि भूमि पर मशीनों का प्रयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।
कृषि मशीनरीकरण (farm mechanization) न केवल इस प्रकार के बीज, उर्वरक, पौध संरक्षण रसायन और पानी सिंचाई के लिए रूप में विभिन्न आदानों के उपयोग के लिए सक्षम आपूर्ति है यह एक आकर्षक उद्यम खेती बनाकर किसानों की आय में वृद्धि में भी मदद करता है।
खेती में प्रयुक्त होने वाले कृषि मशीनरी को निम्नलिखित 3 प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।
(1) हाथ से प्रयुक्त होने वाले छोटे उपकरण (Small hand tools)
जैसे- खुरपी, कुदाल, हल, दरांती, हसुआ इत्यादि जिनका निर्माण ग्रामीण कारीगरों द्वारा किया जाता है।
(2) कुटीर एवं लघु उद्योग आधारित बड़े उपकरण (Cottage and small scale industrial based machine)
जैसे- डिस्क हल, कल्टीवेटर, हैरो थ्रेसर आदि जिसका निर्माण लघु एवं कुटीर उद्योग में किया जाता है।
(3) संगठित क्षेत्रों में बनने वाली बड़ी मशीन (Big machines built in organized areas)
जैसे- ट्रैक्टर, थ्रेसर, डीज़ल इंजन, बिजली आधारित सिंचाई मोटर पंप, ट्रैक्टर, पावर ट्रिलर इत्यादि जिसका निर्माण बड़े एवं संगठित कृषि कारख़ानों में निर्माण किया जाता है।
भूमि की तैयारी में प्रयुक्त कृषि मशीनरी
ट्रैक्टर(Tractor)
किसानों के लिए ट्रैक्टर का आविष्कार किसी वरदान से कम नहीं है। ट्रैक्टर खेती में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली मशीन है जिसका उपयोग खेत की जुताई से लेकर अनाज की भंडारण तक में किया जाता है। यह एक ऐसा मशीन है जो उनके श्रम को कम करने के साथ-साथ पैसों की भी बचत करती है।
मिट्टी पलटने वाला हल (एमबी प्लाऊ-MB Plow)
यह पूर्णत: लोहे का बना हुआ हल है इसमें नीचे लगा फाल मिट्टी को काटता है। इसमें लगे हुए प्लेट से मिट्टी पलटती जाती है। यह सरल मशीन गहरी जुताई के लिए बहुत उपयोगी होती है।
तवेदार हल (डिस्क प्लाऊ-Disc Plow)
इस हल की खास बात यह है कि इसमें लगे तवों में लगे हुए स्केपर की वजह से गीली मिट्टी इनमें चिपक नहीं पाती है और आसानी से ढूंठ, कड़ी घास तथा जड़ों से भरी हुई जमीन को आसानी से जुताई कर देती है।
कल्टीवेटर (Cultivator)
कल्टीवेटर का प्रयोग जुताई के बाद खेत में ढेलों को तोड़ने, मिट्टी भुरभुरी करने और खेत में सूखी घास और जड़ों को ऊपर लाने के लिए करते है। इस यंत्र का प्रयोग कतार युक्त फसलों में निराई हेतु भी किया जा सकता है।
हैरो (Harrow)
जुताई के बाद मिट्टी को भुरभुरी और नमी सुरक्षित रखने हेतु उथली जुताई की आवश्यकता होती है, इस हेतु यह उपकरण अत्यंत उपयोगी है। घास-फूस जड़ों इत्यादि को भी खेत से साफ करने में इस उपकरण का प्रयोग होता है।
इस मशीन के दो प्रकार हैं- 1. तवेदार हैरो, 2. ब्लैड हैरो
पडलर(Paddler)
पडलर का उपयोग प्रायः खेतों की मचाई(गीली जुताई) के लिए किया जाता है। जो कि धान की फसल में रोपा पद्धति के लिए आवश्यक होता हैं। उन्नत पडलर का उपयोग खरपतवारों को नष्ट करने, पानी का जमीन के अंदर ज्यादा रिसने को कम करने एवं धान के पौधों की रोपाई हेतु उपयुक्त परिस्थिति बनाने के लिए भी किया जाता है।
रोटावेटर (Rotavator)
यह एक विशेष प्रकार का ट्रैक्टर से चलने वाला भारी एवं बड़ी मशीन है। इसमें विशेष तरह के कई ब्लैड लगे होते हैं, जो मिट्टी को काटकर, ऊपर उठाकर एवं घुसकर पलटते हुए आगे चलते जाते हैं, जिससे मिट्टी की जुताई एवे भुरभुरी एक साथ हो जाती है। इस यंत्र के उपयोग प्रायः खेती की जुताई के बाद बुआई के लिए किया जाता है।
बीजों की बुआई/रोपाई में प्रयुक्त कृषि मशीनरी
बुआई मशीन(ड्रिल) – Sowing machine (drill)
इस उपकरण का प्रयोग बीजों की एक समान बुआई के लिए किया जाता है। इस मशीन से 3-4 कतारों में एक साथ बुआई की जा सकती है।
इसके अलावा इस मशीन से बीज की बुआई के साथ-साथ खाद एवं उर्वरक दोनों को आवश्यकतानुसार निर्धारित मात्रा में गिराए जा सकते है।
प्लांटर(Planter)
प्लांटर का भी प्रयोग बुआई मशीन(ड्रिल) की तरह बीजों को प्राय: एक निश्चित बीज की दूरी पर पंक्तियों में बुआई हेतु किया जाता है। लेकिन इसमें अलग-अलग फसल के बीजों के लिए अलग-अलग प्लेटों तथा स्प्रोकिटों का प्रयोग किया जाता है।
रोपण यंत्र (Planting machine)
इस मशीन ने धान या अन्य फसलों को रोपने की प्रक्रिया को बहुत आसान बना दिया है, इसकी बनावट बड़ी सरल है। इसके तीन भाग होते हैं : धान के पौधों को पकड़ने वाली चिमटी, धान को सीधा रखने वाला बाक्स और इस बाक्स को सहारा देने वाली चौखटा।
बक्स में पौधे रख दिए जाते हैं। इसमें एक तख्ता सामने और एक पीछे होता है। एक- एक तख्ता दाहिनी और बाई ओर और एक तख्ता नली में रहता है, जिसके सहारे से पौधे की रोपाई की जाती है।
फर्टिलाईजर ड्रिल (Fertilizer drill)
इस मशीन का उपयोग मेड़ों पर बीज बुआई के लिए किया जाता है। फर्टिलाईजर ड्रिल सामान्य रूप से सीड-फर्टिलाईजर ड्रिल होती है, जिसका किसान, आमतौर पर बीज और उर्वरक डालने के लिए करते हैं। इस मशीन का प्रयोग करने से बीजों का अंकुरण अच्छा होता है।
सिंचाई में प्रयुक्त कृषि मशीनरी (Agricultural machinery used in irrigation)
ट्यूबवेल(Tube Well)
भारत में नहरों के बाद तालाब और कुँआ सिंचाई का प्रमुख साधन है लेकिन इसके लिए किसानों को मशीनों की जरूरत पड़ती है। जिसमें नलकूप महत्वपूर्ण साधन है। नलकूप (ट्यूबवेल) मशीन-चालित पंप होता है जिसे लगाकर कुंआ से पानी निकाला जाता है।
पंपिंगसेट(Pumping Set machine)
पंपिगसेट भी एक तरह का ट्यूबवेल मशीन होता है जिसे चलाने के लिए डीजल या पेट्रोल की जरूरत होती है। लेकिन यह मशीन किसानों के लिए मंहगा होता है क्योंकि डीजल और पेट्रोल के दाम किसानों के सामर्थ्य से काफी दूर होते है।
मोटर पंप (समरसेबल)-Motor Pump (Summer sable)
पानी का स्तर नीचे जाने के कारण भूमि से पानी निकालना मुश्किल होता जा रहा है। अधिक नीचे से पानी निकालने के लिए पंपिंगसेट मशीन की स्थान पर अधिक पावर वाले मोटर पंपो की जरूरत होती है। जिसमें समरसेबल ही अधिक उपयुक्त मोटर पंप है जो काफी गहराई से पानी निकालने में सक्षम है।
उर्वरक एवं पोषण के दौरान प्रयुक्त होने वाले कृषि मशीनरी
उर्वरक स्प्रेयर(Fertilizer sprayer)
यह फसलों पर दवा या उर्वरक छिड़काव करने की सरल मशीन है। इस मशीन को पीठ पर लादकर हाथ की सहायता से, दवाओं का एक समान रूप से छिड़काव किया जाता है।
फर्टीलाइजर ब्रार्डकास्टर(Fertilizer broadcaster)
इस मशीन को किसानों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस मशीन का उपयोग कर, किसानों को अब हाथ से यूरिया का छिड़काव नहीं करना पड़ता है। इस मशीन की सहायता से किसान पूरे खेत में एक समान मात्रा में यूरिया सहित अन्य उर्वरकों का छिड़काव आसानी से कर सकते हैं।
निराई-गुड़ाई के आधुनिक यंत्र (weeding tools)
फसलों की निराई-गुड़ाई एवं खरपतवार निकालने के लिए पम्परागत विधि बहुत ही सुविधाजनक होता है। पम्परागत विधि हाथ द्वारा खरपतवार निकालना तो अच्छा होता है लेकिन इसमें बहुत अधिक समय और श्रम की जरूरत होती है।
इन कार्यों के लिए अब आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाने लगा है। जिसमें परम्परागत उपकरण खुर्पी, कुदाल, इत्यादि प्रमुख हैं।
कोनो वीडर (Cono Weeder)
कोनो वीडर धान की फसल से खरपतवार निकालने का उपयुक्त यंत्र हैं। कोनो वीडर में दो रोटर, फ्लोट, फ्रेम एवं एक हैंडल लगा होता है। रोटर आकार में कोन-फ्रस्टम, चिकना एवं दाँतेदार होता है और लम्बाई में सतह से जुड़ा होता है। इस यंत्र द्वारा हाथ से निराई-गुड़ाई करने की तुलना में 60-70 प्रतिशत मजदूरी की बचत और 9 प्रतिशत तक की उपज में वृद्धि होती है।
व्हील हो (whele weeder)
यह उपकरण कतार में बोई गई फसलों की निराई-गुड़ाई करता है। इसमें हैंडिल लम्बा होता है तथा किसानों द्वारा धक्का देकर चलाया जाता है।
आपको बता दें कि भिन्न-भिन्न प्रकार की फसलों में खरपतवार की निराई-गुड़ाई के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के टूल का उपयोग किया जाता है, जैसे – स्टेट ब्लेड, रिवर्सिबुल ब्लेड, स्वीप, टी. ब्लेड, टाइन कल्टीवेटर, प्रोंज्ड हो, मिनीयेचर फरोअर, स्पाइक हैरो, इत्यादि।
फसल की कटाई में प्रयुक्त कृषि मशीनरी
हंसिया/दरांती(Sickle)
दरांती हाथ से पकड़कर फसल एवं घास आदि काटने के काम आने वाला एक सरल कृषि उपकरण है। इसे हँसिया के नाम से भी जाना जाता है। इसे सब्जियों, अनाज फसलों, घास को काटने और अन्य वनस्पति मामलों की कटाई के लिए प्रयोग किया जाता है। हँसिया की आकृति अर्धचंद्राकार होती है। कुछ ऐसी हँसिया होती हैं जिनमें दाँतें बने रहते हैं और कुछ बिना दाँतों की बनी होती है। दाँतेदार हँसियों की कार्यक्षमता बिना दाँतों की हँसियों से अधिक होती है।
रीपर(Reaper)
यह अनाज वाली फसलों को काटने के काम आता है। यह मशीन धान-गेहूँ जैसी खड़ी फसलों को काटने लिए सबसे छोटी और सरल मशीन है।
यह मशीन जमीन से 5-8 सेंटीमीटर उपर तक की कटाई करता है। इसमें मुख्य भाग फ्रेम, चाकू, व्हील, बियरिंग इत्यादि होते हैं। रीपर में लगभग 4 फुट लंबी कटाई की पट्टी लगी रहती है, जिसमें लगभग 25 से 30 तक काटने वाले चाकू लगे रहते है। इस मशीन से एक घंटे में लगभग एक एकड़ फसल की कटाई हो जाती है। इससे किसानों को मजदूर और समय की काफी बचत हो जाती है।
थ्रेसर(Thresher)
यह थ्रेसर प्रायः चारा काटने की मशीन एवं बीटर टाइप थ्रेसर का संयुक्त रूप होता है। इसमें एक थ्रेसिंग सिलिंडर, ब्लोअर, छलनी, रोलर होता है।
मड़ाई के बाद मड़ाई पदार्थ कनकेव द्वारा बाहर आ जाता है और हल्के पदार्थ जैसे भुसा एसपिरेटर ब्लोअर द्वारा दूर जाकर गिरता है, तथा भारी पदार्थ जैसे अनाज रेसिप्रोकेटिंग छलनी द्वारा नीचे गिरता है। छलनी दाने को साफ करती है तथा दाने को सीधे ट्राली तक पहुँचाता है।
इस थ्रेसर द्वारा 5 अश्वशक्ति की एकल थ्रेसर की तुलना में 60 प्रतिशत मजदूर की बचत तथा 35 प्रतिशत संचालन खर्च में बचत होती है।
कम्बाइन हार्वेस्टर(Combine harvester)
भिन्न-भिन्न प्रकार के कम्बाइन हार्वेस्टर 2-6 मी0 लम्बे कटरवार में उपलब्ध होते हैं। इसका कार्य एक बार में ही फसल की कटाई, मड़ाई, ओसाई, सफाई एवं दानों को इक्कट्ठा करना है। इसमें कई भाग होते हैं जैसे- हेडर यूनिट, मड़ाई यूनिट, सेपरेशन यूनिट एवं कलेक्शन यूनिट इत्यादि।
संक्षेप में कहें तो कृषि मशीनीकरण (agricultural mechanization) कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए एक प्रमुख कारक है जो समय पर कृषि कार्यों को पूरा करके उत्पादन बढ़ाने, हानियों को कम करने और महंगे कृषि निवेशों के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करके, कृषि लागत घटाने में मदद करता है। जिसके लिए ज़रुरी है किसानों के पास आधुनिक कृषि मशीनें हो, जिसका भारत में भारी कमी है। अतः इसके लिए सरकार और कृषि मशीनें बनाने वाली कंपनियों को मिलकर काम करना चाहिए।