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afra disease: पशुओं में होने वाला अफारा रोग का कारण एवं उपचार

पशुओं में कई तरह के रोग होते हैं। जिनमें से एक है- आफरा रोग (Afra Disease)। आमतौर पर आफरा रोग गाय, भैंस, बकरी, भेड़, आदि पशुओं में होता है।

afra disease in animal: पशुओं में कई तरह के रोग होते हैं। जिनमें से एक है- आफरा रोग (Afra Disease)

आमतौर पर आफरा रोग गाय, भैंस, बकरी, भेड़, आदि पशुओं में होता है। सही समय पर उचित इलाज नहीं होने पर आफरा रोग गंभीर रूप ले लेती है।  

बारिश के मौसम में आफरा रोग (afra disease) के ओने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप भी करते हैं पशुपालन तो पशुओं को आफरा रोग से बचाने के लिए आफरा रोग का लक्षण एवं नियंत्रण की जानकारी होना आवश्यक है। 

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में पशुओं में होने वाले आफरा रोग के लक्षण और बचाव (Symptoms and prevention of venereal disease in hindi) पर विस्तार से जानें।

आफरा रोग क्या है? (afra rog kya hai)

इस बीमारी (afra disease) से पशुओं का पेट अधिक फूल जाता है और सांस लेने में कठिनाई शुरू हो जाती है। इस रोग से ग्रसित पशु ज़मीन पर लेट कर पांव पटकने लगता है और जुगाली बंद कर देता है। इससे पशु की नाड़ी की गति तेज हो जाती है किन्तु शरीर तापमान सामान्य रहना ही रहता है। पशु चारा-पानी भी बंद कर देता है।  

आफरा रोग के कारण

  • पशुओं के पेट में अधिक गैस बनने के कारण यह समस्या होती है।
  • आहार में अचानक बदलाव करने से भी यह समस्या होती है।
  • पशुओं के आहार में चारे भूसे के साथ कीड़े आदि खा लेने से भी आफरा रोग होने का खतरा होता है।
  • कई बार दूषित जल ग्रहण करने से भी यह समस्या होती है।
  • हरा चारा जैसे बरसीम सीधा खेत से काट कर पशुओं को खिलाना भी इस रोग के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • अधिक मात्रा में भूसा एवं अनाज का सेवन करने से भी पशुओं में यह रोग होता है।

आफरा रोग का लक्षण

  • गैस बाहर नहीं निकलने के कारण पशुओं का पेट फूला हुआ नजर आता है।
  • पशुओं को सांस लेने में कठिनाई होती है।
  • पशु जुगाली करना बंद कर देते हैं।
  • पशु खाना और पानी पीना बंद कर देते हैं।
  • कई बार पशु जमीन पर लेट कर पांव पटकने लगते हैं।
  • हालत गंभीर होने पर कभी-कभी पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है।

पशुओं को आफरा रोग से कैसे बचाएं?

  • पशुओं को चारा, भूसा आदि खिलाने से पहले पानी पिलाएं।
  • पशुओं को दूषित चारा, दाना, भूसा एवं पानी न दें।
  • हरे चारे की कटाई के कुछ समय बाद ही पशुओं को चारा खिलाएं।
  • पशुओं के आहार एवं खान-पान में अचानक परिवर्तन न करें।
  • पशुओं को पोषक तत्वों से भरपूर आहार खिलाएं।

पशुओं में आफरा होने पर क्या करें?

  • बड़े पशुओं जैसे गाय, भैंस, बैल, आदि को प्रति लीटर गुनगुने पानी में 50 ग्राम एफ्रोन मिला कर नाल के दुवारा देना चाहिए।
  • पशुओं का पाचन क्रिया गड़बड़ होने पर 10 ग्राम गारलील (Garlill) नामक दवा को मुंह के द्वारा देना चाहिए।

आफरा में इन बातों का रखें विशेष ध्यान 

  • समस्या बढ़ने पर तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श करें।
  • पशु चिकित्सक से परामर्श के बाद ही पशुओं को दवाएं देनी चाहिए।

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