मोटा धान की 8 उन्नत किस्में, यहां जानें विशेषताएं
भारत में धान की हजारों किस्में हैं। जैसे- कम दिन में पकने वाली धान की किस्में, मध्यम धान की किस्में, अधिक दिन में पकने वाली धान की किस्में...
Major 8 Varieties of Coarse Paddy (मोटा धान की प्रमुख 8 किस्में): भारत में धान की हजारों किस्में हैं। जैसे- कम दिन में पकने वाली धान की किस्में, मध्यम धान की किस्में, अधिक दिन में पकने वाली धान की किस्में, कम पानी में होने वाली धान की किस्में, बासमती किस्में इत्यादि।
इसके आलावा भी धान की कई किस्में है जिसकी खेती भारत में खूब होती है। उन्हीं में से एक है- मोटा धान की उन्नत किस्में।

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस ब्लॉग में मोटे धान की 8 किस्मों (dhan ki top 8 varietes) को विस्तार से जानें।
1. कामेश (सीआर धान 40) Kamesh (CR Dhan 40)
धान की इस किस्म के दाने मोटे और छोटे होते हैं। यह अर्द्ध बौनी किस्म है जो 110 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। पौधे की ऊंचाई 100 से 105 सेंटीमीटर तक होती है। भूरा धब्बा, सफेद माहुन, गालमजि तना छेदक तथा पत्ता मरोड़ाक रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है। इसकी खेती झारखंड तथा महाराष्ट्र में मुख्य तौर पर की जाती है।
2. आरआर- 167 (बंदना) RR – 167 (Bandana)
धान की इस किस्म के दाने मोटे और लंबे होते हैं। यह किस्म अधिक जल्दी पक कर तैयार हो जाती है। इसके पकने में 90 से 95 दिन का समय लगता है। पौधे की ऊंचाई 95 से 110 सेंटीमीटर तक होती है। गालमजि तथा भूरा धब्बा रोग प्रतिरोधी किस्म है। औसतन पैदावार 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है। इसकी खेती प्रमुख रुप से झारखंड तथा ओडिशा में होती है।
3. Naveen (नवीन)
धान की इस किस्म के दाने मध्यम मोटे होते हैं। 115 से 120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। पौधे की ऊंचाई 105 सेंटीमीटर तक होती है। तना छेदक तथा भूरा धब्बा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी किस्म है। औसतन पैदावार 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है। इसकी खेती प्रमुख रुप से ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा तथा आंध्र प्रदेश राज्य में खूब होती है।
4. Tapaswini (तपस्विनी)
धान की इस किस्म के दाने मोटे और छोटे होते हैं। यह कम ऊंचाई वाली किस्म है। 130 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। पौधे की ऊंचाई 90 सेंटीमीटर तक हो जाती है। पीला तना छेदक तथा भूरा माहू रोग प्रतिरोधी किस्म है। औसतन पैदावार 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है। इसकी खेती ओडिशा में मुख्य तौर पर की जाती है।
5. CRLC – 899 (वर्षा धान)
धान की इस किस्म के दाने भी मोटे और लंबे होते हैं। लंबी ऊंचाई वाली किस्म है। यह 160 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। पौधे की ऊंचाई 150 सेंटीमीटर तक हो जाती है। 75 सेंटीमीटर तक लंबे समय तक जलभराव स्थिति को सहन कर सकती है। यह किस्म Neck blast, BLB एवं सफेद माहू रोग के प्रति सहनशील किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है। इसकी खेती ओडिशा, असम तथा पश्चिम बंगाल में मुख्य तौर पर की जाती है।
6. CR Dhan – 402 (luna sampad) सीआर धान – 402 (लूना संपदा)
धन की इस किस्म के दाने मध्यम मोटे होते हैं। यह लंबी ऊंचाई वाली किस्म है और 140 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। पौधे की ऊंचाई 130 सेंटीमीटर तक हो जाती है। यह blast रोग प्रतिरोधी किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 36 से 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है। इसकी खेती प्रमुख रुप से ओडिशा में की जाती है।
7. नुआ कालाजीरा (Nua – Kalajeera)
धान की इस किस्म के दाने छोटे, मोटे तथा सुगंधित होते हैं जो 145 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। पौधे की ऊंचाई 140 सेंटीमीटर तक हो जाती है। यह LB रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी किस्म है। औसतन पैदावार 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है। इसकी खेती ओडिशा के निचले भूमि क्षेत्रों में की जाती है।
8. नुआ – धुसर (Nua – Dhusara)
धान की इस किस्म के दाने छोटे और मोटे होते हैं। लंबी ऊंचाई वाली किस्म है। 145 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। यह Neck blast तथा बिग्लन रोग प्रतिरोधी किस्म है। औसतन पैदावार 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है। इसकी खेती ओडिशा के निचले भूमि क्षेत्रों में की जाती है।
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